तांत्रिक शिष्य के 21 “गुप्त नियम” (रहस्य नियम)

मैं आपको तांत्रिक शिष्य के 21 “गुप्त नियम” (रहस्य नियम) दे रहा हूँ।

ये नियम सामान्य पुस्तकों में नहीं मिलते।

ये नाथ, अघोर, त्रिक, कौल, डाबर तंत्र—सभी परंपराओं में सिर्फ दीक्षित शिष्यों को बताए जाते हैं।

🔱 तांत्रिक शिष्य के 21 गुप्त नियम (Secret Tantric Disciplinary Codes)


(ये नियम साधक की शक्ति को जागृत करने के लिए गुप्त रूप से अपनाए जाते हैं)

1. ऊर्जा-लीक न होने देना (Leakage Control)

साधक को अपनी ऊर्जा तीन स्थानों से नहीं बहने देनी चाहिए:
✔ वाणी
✔ काम
✔ क्रोध
इनमें ऊर्जा खर्च हुई → साधना का तेज नष्ट।


2. नजर-बंधन (Eye Discipline)

तांत्रिक शिष्य आंखों का दुरुपयोग नहीं करता।
बहुत ज्यादा इधर-उधर देखना, अनावश्यक नजर मिलाना, भीड़ देखना भी ऊर्जा को गिरा देता है।


3. पाँव और धरती का नियम

नंगे पाँव रात्रि में बाहर न चलें।
धरा भूत-तत्व को खींचती है और साधक का ओज कमजोर होता है।


4. छाया-वर्जन (Shadow Rule)

सूर्यास्त के बाद अपनी छाया पर पैर नहीं रखना चाहिए।
छाया उर्जा का प्रतिरूप मानी जाती है।

5. मौन-रात्रि (Night Silence Rule)

दीक्षा के बाद 21 दिन तक रात्रि में अनावश्यक बोलना वर्जित।
रात्रि मौन में साधक का आभामंडल बनता है।


6. अपनी साधना का उद्देश्य गुप्त रखना

यदि साधना का उद्देश्य किसी को बताया →
ऊर्जा बिखर जाती है, सिद्धि विलंबित।


7. शिव–शक्ति–भैरव ऊर्जा सम्मान

किसी देवी/देवता की मूर्ति या तांत्रिक यंत्र के सामने
क्रोध, झगड़ा, कटु वाणी बोलना भारी दोष देता है।



8. ऊर्जा-विनिमय नियम

भोजन किसी ऐसे व्यक्ति से न लें जो—
❌ नशा करता हो
❌ नकारात्मक हो
❌ ईर्ष्यालु हो
ऐसे भोजन से साधक की ऊर्जा दूषित होती है।


9. गुरु-दृष्टि नियम

गुरु की आँखों में देखते समय मन स्थिर रखें।
गुरु-दृष्टि साधक की कच्ची ऊर्जा को जलाती भी है और भरती भी है।

10. अग्नि-संस्कार नियम

साधक के कमरे में प्रतिदिन (या गुरुवार/अमावस्या)
एक बार अग्नि अवश्य जले—
✔ दीपक
✔ धूप
✔ हवन
अग्नि बिना साधक स्थिर नहीं होता।


11. बाएँ कंधे का नियम (Left Shoulder Rule)

गुरु जब भी मंत्र दें या संरक्षण स्पर्श करें, वह बाएँ कंधे के ऊपर ऊर्जा रखते हैं।
साधक 24 घंटे तक स्नान में कंधे पर पानी सीधे न गिरने दे।


12. मृगतृष्णा-विचलन से बचना

साधना के शुरुआती दिनों में भ्रम, आवाज़ें, सपने, आकृतियाँ दिखती हैं।
इन पर विश्वास नहीं करना है।
ये मन के विकार होते हैं।



13. किसी पर शक्ति-प्रयोग बिना कारण नहीं

तांत्रिक शक्ति पर ब्रह्म-शक्ति का नज़र रहता है।
अनुचित प्रयोग करने पर तीन गुणा प्रतिघात।


14. दिगंबरी-आचरण का रहस्य

कुछ साधनाओं में आधा वस्त्र या नग्न अवस्था रखकर आसन लगता है।
यह चक्र खोलने के लिए है,
भोग के लिए नहीं।


15. तर्जनी का निषेध

साधक किसी पर तर्जनी उंगली नहीं उठाता।
तर्जनी ऊर्जा का सबसे बड़ा चैनल है, इससे शक्ति बाहर जाती है।


16. श्वास नियमन (Breath Lock Rule)

मंत्र जप के समय श्वास को धीमा, गहरा और थोड़ी देर रोके रखना।
इससे मंत्र की शक्ति शरीर में स्थिर होती है।


17. रात्रि में बहता जल नहीं देखना

रात को नदी, नाला, बहता पानी देखने से ऊर्जा खिंच जाती है।
जल तत्त्व रात्रि में अत्यधिक उर्जाशोषक होता है।


18. तांत्रिक वस्तुएँ दूसरों को न छूने दें

✔ माला
✔ यंत्र
✔ भस्म
✔ पुस्तक
इनको किसी का स्पर्श ऊर्जा मिटा देता है।

19. मृत स्थानों से दूरी

महासमाधि स्थल, श्मशान आदि में साधना तो ठीक—but
साधक बिना उद्देश्य वहाँ अधिक देर न रुके।

20. साधक की दृष्टि—पूर्ण जागरूकता

तंत्र में आधा मन रखने वाला साधक नुकसान उठा सकता है।
हर साधना संपूर्ण मन से करनी चाहिए।

21. गुरु की चुप्पी ही आदेश है

यदि गुरु किसी प्रश्न या कार्य पर मौन रहें तो वही सबसे बड़ा उत्तर है।
मौन का अर्थ—
✔ अभी समय नहीं
✔ साधक तैयार नहीं
✔ ऊर्जा अनुकूल नहीं

🔱 ये 21 रहस्य नियम क्यों महत्वपूर्ण हैं?

क्योंकि तंत्र साधारण पूजा नहीं—
यह ऊर्जा का विज्ञान है।

गलत नियम से साधक—
• भ्रम
• विकार
• अनिद्रा
• प्रतिघात
• असफलता
का शिकार हो सकता है।

इन्हीं नियमों से साधक का आभामंडल, तेज, और आत्म-शक्ति धीरे-धीरे स्थिर होती है।


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सतीश बंसल

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