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श्राद्ध में खीर क्यों

🔶 श्राद्ध में खीर क्यों 🔷 जनिये "खीर" का वैज्ञानिक कारण और महत्व...... हमारी हर प्राचीन परंपरा में वैज्ञानिकता का दर्शन होता हैं । अज्ञानता का नहीं...... हम सब जानते है की मच्छर काटने से मलेरिया होता है वर्ष मे कम से कम 700-800 बार तो मच्छर काटते ही होंगे अर्थात 70 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते लाख बार मच्छर काट लेते होंगे । लेकिन अधिकांश लोगो को जीवनभर में एक दो बार ही मलेरिया होता है ।सारांश यह है की मच्छर के काटने से मलेरिया होता है, यह 1% ही सही है । ध्यान दीजिये .... खीर खाओ मलेरिया भगाओ :- लेकिन यहाँ ऐसे विज्ञापनो की कमी नहीं है, जो कहते है की एक भी मच्छर ‘डेंजरस’ है, हिट लाओगे तो एक भी मच्छर नहीं बचेगा। अब ऐसे विज्ञापनो के बहकावे मे आकर करोड़ो लोग इस मच्छर बाजार मे अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो जाते है । सभी जानते है बैक्टीरिया बिना उपयुक्त वातावरण के नहीं पनप सकते । जैसे दूध मे दही डालने मात्र से दही नहीं बनाता, दूध हल्का गरम होना चाहिए। उसे ढककर गरम वातावरण मे रखना होता है । बार बार हिलाने से भी दही नहीं जमता । ऐसे ही मलेरिया के बैक्टीरिया को जब पित्त का वातावरण मिलत

कर्ण एक कपटी, नृशंस, कुचक्री और कायर व्यक्ति था।

महाभारत काल के पात्रों में अक्सर कर्ण का महिमामंडन किया जाता है। बहुतों का पसंदीदा पात्र है कर्ण। पर क्या कर्ण वाकई इस योग्य है? कर्ण को अच्छा दिखाने के पीछे यही सोच काम करती है कि बेचारे को उसकी माँ ने बचपन में ही त्याग दिया था। यह एक अन्याय अवश्य हुआ है कर्ण के साथ। पर क्या इसके कारण किसी का पापी बनना न्यायसंगत माना जा सकता है? आज अगर कोई लावारिस हो, बचपन में उसकी माँ ने उसे कूड़े में फेंक दिया हो, और वह बड़ा होकर ताकत हासिल करने के बाद किसी स्त्री को भरे बाजार नंगा करे, किसी गुंडे का दाहिना हाथ बन जाये तो क्या आपके मन में उसके प्रति दया की भावना जन्म लेगी?  शुरू से बात करते हैं।  जनश्रुति है कि कौरवों (पांडव भी कौरव ही थे) के गुरु द्रोण ने कर्ण का गुरु बनने से मना कर दिया था। जबकि महाभारत ग्रन्थ में लिखा है कि जब भीष्म ने द्रोण को कुरु कुमारों का शिक्षक नियुक्त किया और द्रोण ने गुरुकुल की स्थापना की तो वहाँ कौरवों के अतिरिक्त वृष्णि और अंधक (यादव वंश), अनेक देशों के कुमार और राधानन्दन कर्ण ये सब द्रोण के पास शिक्षा लेने आए। कर्ण सदा अर्जुन से बैर रखता और दुर्योधन के साथ मिलकर पांडवों