परशुराम जी से जुड़े रोचक तथ्य
परशुराम से जुड़े रोचक तथ्य (Parsuram Se jude Tathay)
परशुराम जी को भगवान विष्णु का छठवां अवतार माना जाता है । इन्हें जमदग्नि के पुत्र होने के कारण ‘जामदग्न्य’ भी कहा जाता है । इनके बारे में कई सारे किस्से बहुत प्रसिद्ध है जैसे उन्होंने पिता के आदेश पर अपनी ही माता को मार दिया था, तो आईये जानते हैं परशुराम जी के जीवन से जुड़े हुए रहस्य ।
परशुराम ने क्यों मारा अपनी ‘मां’ को (Parsuram ne kyu mara maa ko)
भगवान परशुराम अपने पिता के प्रति पूर्ण रुप से समर्पित थे । एक बार उनके पिता उनकी मां से इतने ज्यादा नाराज हो गये कि उन्होंने परशुराम को उसकी हत्या करने का आदेश दिया । परशुराम ने पिता के आदेश का पालन किया और अपनी मां को मार दिया । हालांकि, बाद में अपनी चतुराई से परशुराम अपनी माता का जीवन में लाने में सफल रहे । इस तरह उन्होंने पिता के प्रति अपने समर्पण को प्रमाणित किया ।
बछड़े के लिए ‘कार्तवीर्य अर्जुन’ का वध
बात उस समय की है जब एक कार्तवीर्य नाम के एक राजा हुए करते थे, जो एक बार किसी युद्ध को जीतने के बाद परशुराम जी के पिता जमदग्नि मुनि के आश्रम में रुक गये थे । बाद में जब वह वहां से निकले तो उन्हें कामधेनु का बछड़ा रास आ गया । राजा बलशाली था इसलिए वह वहां से बछड़े को ले जाने में कामयाब रहा । जब इस बात की जानकारी परशुराम को हुई तो उन्होंने राजा कार्तवीर्य का वध कर दिया ।
21 बार क्षत्रिय विहीन धरती
कार्तवीर्य अर्जुन के वध का बदला उसके पुत्रों ने जमदग्रि मुनि का वध करके लिया । क्षत्रियों के इस कृत्य को देखकर भगवान परशुराम बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने कार्तवीर्य अर्जुन के सभी पुत्रों का वध कर दिया । जिन-जिन क्षत्रिय राजाओं ने उनका साथ दिया, परशुराम ने उनका भी वध कर दिया । सिर्फ इतना ही नहीं माना जाता है कि परशुराम ने 21 बार क्षत्रियों को मारा था ।
ब्राह्मणों को दान कर दी पृथ्वी (Barhamno ko Dan me di Parthvi)
महाभारत के अनुसार परशुराम का ये क्रोध देखकर महर्षि ऋचिक ने साक्षात प्रकट होकर उन्हें इस घोर कर्म से रोका । तब उन्होंने क्षत्रियों का संहार करना बंद कर दिया और सारी पृथ्वी ब्राह्मणों को दान कर दी और स्वयं महेंद्र पर्वत पर निवास करने लगे ।
राम से परशुराम कैसे बनें (Ram se Parsuram kese bane)
बचपन में परशुराम जी को उनके माता-पिता राम कहकर बुलाते थे । बाद में जब वह बड़े हुए तो पिता जमदग्रि ने उन्हें हिमालय जाकर भगवान शिव की आराधना करने को कहा । पिता की आज्ञा मानकर राम ने ऐसा ही किया । उनके तप से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें दर्शन दिए और असुरों के नाश का आदेश दिया । राम ने अपना पराक्रम दिखाया और असुरो का नाश कर दिया ।
राम के इस पराक्रम को देखकर भगवान शिव ने उन्हें परशु नाम का एक शस्त्र दिया । चूंकि यह अस्त्र राम को बहुत प्रिय था, इसलिए वह राम से परशुराम हो गये ।
परशुराम का लक्ष्मण से विवाद (Parsuram ka Ram se vivad)
रामायण काल का यह प्रसंग सर्वाधिक चर्चित है । माना जाता है कि जब भगवान राम, माता सीता के स्वयंवर में गये, तो वहां उनसे प्रत्यंचा चढ़ाते हुए शिव धनुष को तोड़ दिया था । धनुष टूटने की आवाज सुनकर भगवान परशुराम भी वहां आ गए । चूंकि यह धनुष भगवान शिव था, इसलिए परशुराम जी को क्रोध आ गया और वह भगवान राम व लक्ष्मण से उलझ पड़े थे । खासकर लक्ष्मण से उनका संवाद विवाद रूप में बदल गया था । कहते हैं परशुराम जी को भी कहीं न कहीं अहम् आ गया था, जिसका नाश करने के लिए यह सारा प्रसंग परमेश्वर द्वारा रचित किया गया था ।
परशुराम ने तोड़ा श्रीगणेश का एक दांत (Parsuram ne Toda Ganesh ji ka)
कहा जाता है कि एक बार परशुराम जी भगवान शिव से मिलने के लिए गये थे । तब भगवान शिव ध्यान में थे इसलिए श्रीगणेश ने परशुराम जी को रोक दिया । इस पर परशुराम जी इतने नाराज हो गये कि उन्होंने अपने फरसे से श्रीगणेश पर वार कर दिया । श्रीगणेश जी ने इस वार को झेलने के लिए अपना दांत आगे कर दिया । इस प्रकार उनका एक दांत टूट गया । तभी से गणेश जी को एकदंत भी कहा जाता है ।
भीष्म, द्रोण और कर्ण को सिखाई थी शस्त्र विद्या
कथाओं के अनुसार त्रेतायुग में भगवान राम के अवतार के समय परशुराम जी ने मिथिलापुरी पहुंच कर उन्हें वैष्णव धनुष भेंट किया था । यह भी कहा जाता है कि महाभारत के प्रसिद्ध पात्रों भीष्म, द्रोण और कर्ण को भगवान परशुराम जी ने ही शस्त्र विद्या सिखाई थी ।
भीष्म से नहीं जीत सके परशुराम जी
कथाओं के अनुसार एक बार भीष्म द्वारा हरण किये जाने के बाद जब काशीराज पुत्री अंबा को अपनाने से सभी ने मना कर दिया तो वह भीष्म के गुरु परशुराम के पास पहुंची और अपनी बात रखी । इस पर परशुराम ने भीष्म को अंबा से विवाह करने के लिए कहा, और जब वह नहीं माने तो उनके बीच भीषण युद्ध हुआ । अंत में उन्हें अपने पितरों की बात मानकर अस्त्र रखने पड़े । इस कारण वह भीष्म को नहीं हरा सके ।
भगवान राम की ले ली थी परीक्षा
परशुराम एक बार अयोध्या गये तो राजा दशरथ ने भगवान राम को उनको लाने के लिए भेजा । चूंकि, परशुराम भगवान राम के पराक्रम की चर्चाएं सुन चुके थे, इसलिए उन्होंने उनकी परीक्षा लेनी चाही । उन्होंने भगवान राम को दिव्य धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए कहा श्री राम के ऐसा कर लेने पर उन्हें धनुष पर एक दिव्य बाण चढ़ाकर दिखाने के लिए कहा, राम ने जब यह भी कर दिया । इसके बाद भगवान राम ने परशुराम को दिव्य दृष्टि दी । जिससे वह श्री राम के असली स्वरूप को देख पाये । कहते हैं जब धनुष पर भगवान राम बाण चढ़ा चुके थे, तब उन्होंने उस बाण से परशुराम जी के तप के अहम् को नष्ट किया था ।
त्याग दी थी बत्तीस हाथ ऊंची सोने की वेदी
भगवान परशुराम जी को तो धर्म के लिए भी जाना जाता है । कहा जाता है कि उन्होंने अपने जीवन में ढ़ेरों यज्ञ किए । यज्ञ करने को लेकर उनकी रुचि तो इसी से समझा जा सकता है कि उन्होंने यज्ञ करने के लिए बत्तीस हाथ वेदी बनवायी थी और वो भी सोने की । बाद में इसी बेदी को महर्षि कश्यप ने ले लिया था । साथ ही परशुराम से पृथ्वी छोड़कर चले जाने के लिए कहा था । परशुराम जी ने उनकी बात मान ली और समुद्र को पीछे हटाकर गिरिश्रेष्ठ महेंद्र पर चले गये ।
हिंदू धर्म ग्रंथों में कुछ महापुरुषों को आज भी अमर माना जाता है । इनमें से एक भगवान परशुराम भी हैं । यह भी कहा जाता है कि वह वर्तमान में भी कहीं तपस्या में लीन हैं । अगर ऐसा है तो भगवान से प्रार्थना है कि वह लोगों के मनों में जन्म लेने वाली विकृतियों को मार दें, ताकि सबका कल्याण हो सके ।
जय सत्य सनातन🚩*
*🚩हिन्दुराष्ट्र अनिवार्य🏹*
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सतीश बंसल, निवेश सलाहकार,
Author, (World Record Holder),
कटटर सनातनी, राष्ट्र भक्त, रक्त दाता
Youtuber, Blogger
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