एक समय पूरी पृथ्वी पर हिन्दू सनातन धर्म ही था
कहा जाता है कि एक समय पूरी पृथ्वी पर हिन्दू सनातन धर्म ही था.
अर्थात... भारत से लेकर अमेरिका... इंग्लैंड से लेकर जापान, और सीरिया लेकर अफ्रीका तक सनातन हिन्दू धर्म ही था.
और, इसमें कहा क्या जाना है... क्योंकि, अभी हालिया खोज में तो ये प्रमाणित भी हुआ है कि... रामायण में जो अहिरावण भगवान राम और लक्ष्मण को लेकर पाताल लेकर भाग गया था..
वो पाताल और कहीं नहीं बल्कि... अमेरिका ही था क्योंकि अमेरिका के जंगलों में इसके पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं...
तथा, वहाँ अहिरावण के महल के खंडहर के साथ साथ हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज की प्रतिमा तक मिली है.
इसके अलावा... जापान और मिस्र की भी कई परंपराएँ हमारे हिन्दू सनातन धर्म से मिलती जुलती है.
चलो... अगर ये कुछ ज्यादा पुराना इतिहास हो गया तो.... इंडोनेशिया और अफगानिस्तान में तो कोई शंका ही नहीं है कि वहाँ हिन्दू सनातन धर्म ही था...!
तो, इस संबंध में एक छोटी सी बात ये जाननी है कि....
इंडोनेशिया, अफगानिस्तान आदि के राजा क्या.... दिल्ली, पाटलिपुत्र या फिर काशी और अयोध्या के राजाओं के प्रति निष्ठा रखते थे... ?
या फिर... वे सब एक स्वतंत्र इकाई के रूप में काम करते हुए अपने राज्य और अपने नागरिकों के प्रति निष्ठा रखते थे ????
अगर इतना कुछ समझने में दिक्कत हो रही हो तो इसे एकदम आसान भाषा में समझते हैं कि....
आज कटेशरों के 57 देश हैं...
तो क्या.... ये सभी 57 देश एक दूसरे के प्रति निष्ठा रखते हैं ?
या फिर, ये सभी 56 देश... अपने मूल देश सऊदी अरब के प्रति निष्ठा रखते हैं ??
जबाब है... नहीं...!
कोई किसी के प्रति निष्ठा नहीं रखता है...
बल्कि, जो जिस देश में रहता है... वो वहीं के प्रति निष्ठा रखता है.
उसी तरह... 100 से भी ज्यादा हिसाई देश हमेशा एक दूसरे से लड़ते ही हैं..
लेकिन, फिर भी कहा जाता है कि... हिसाइयो के इतने देश हैं.
इसीलिए... मेरे ख्याल से ये सवाल ही गलत है कि....
ऋषि सुनक के.... ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन जाने से हमें क्या लाभ होगा ?
वो हमको पैसा दे देगा... या, बीफ का निर्यात बंद करवा देगा अथवा ब्रिटेन का भारत में विलय करवा देगा.
वो कुछ नहीं करवा देगा..
और, उसके प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति अथवा राजा ही बन जाने से हमें कोई लाभ नहीं होने जा रहा है.
बल्कि, महज एक खुशी है कि... हमारा एक सनातन हिन्दू धर्मी दुनिया के किसी एक और राज्य का शासनाध्यक्ष है.
ये बस वैसी ही खुशी है.... जैसे कि हम रोज बोलते हैं कि इंडोनेशिया में आज भी सनातन हिन्दू संस्कृति है और वहाँ का राष्ट्रीय पक्षी गरुड़ है.
अब... इंडोनेशिया के राष्ट्रीय पक्षी के गरुड़ होने से अथवा वहाँ रामलीला के मंचन होने से भला हमें क्या लाभ हो जाता है ???
या फिर.... नेपाल में ही बाबा पशुपतिनाथ के मंदिर होने अथवा जानकी मंदिर हो जाने से हमें क्या लाभ मिलता है ??
क्या नेपाल अथवा इंडोशिया के राजाओं अथवा नागरिकों की निष्ठा सनातन धर्म की मुख्य भूमि भारत के प्रति है ???
ऐसा कुछ नहीं है.... बल्कि, महज एक खुशी है...
कि, दुनिया में हमारे समान आस्था वाले लोग आगे बढ़ रहे हैं...!
क्योंकि.... अगर हम उतना लाभ हानि गिनने लगेंगे तो...
दिल्ली के चुनाव से पहले की एक घटना बताना चाहूँगा..
मेरी दिल्ली में रहने वाले एक आदमी से बात हो रही थी और मैंने उसे बताया कि खुजलीवाल ढंग का आदमी नहीं है और वो हमेशा हिन्दू विरोधी काम में लिप्त रहता है तथा कटेशरों के आगे दंडवत रहता है इसीलिए उसे वोट देना आत्मघाती है.
इसके बदले आप bjp को वोट दे दो क्योंकि बीजेपी ने कश्मीर से धारा 370 हटाया है..
हज सब्सिडी हटाया है..
और, अयोध्या में राममंदिर भी बनवा रही है.
मेरी इस बात पर उसने तपाक से बोला... तो, कश्मीर से धारा 370 हटने से, राम मंदिर बनने से अथवा हज सब्सिडी हटने से मुझे क्या लाभ है ???
जबकि, खुजलीवाल हमको फ्री बिजली और पानी दे रहा है... जो कि प्रत्यक्ष लाभ है.
इसीलिए, हमलोग तो उसी को वोट देते हैं और देंगे भी.
इसके बाद... इस पर काफी देर तक बहस हुई जिसे उल्लेखित करना उचित नहीं है.
इसीलिए... हर चीज को लाभ और हानि के एंगल से देखना उचित नहीं होता है...
क्योंकि, उस हालात में हम अपने मूल मुद्दे से भटकने लगते हैं.
लेकिन.... अगर हम उसी चीज को देश और धर्म से एंगल से देखते है तो उसे देखने का हमारा तरीका बदल जाता है.
और, फिर हमें एहसास होता है कि...
हाँ यार.. हमें कोई प्रत्यक्ष लाभ या हानि हो अथवा न हो...
लेकिन, ये हमारे हिन्दू सनातन धर्म की जीत तो है ही...!
तथा... मैं तो चाहता हूँ कि भले ही हमें कोई लाभ अथवा हानि हो... या हो.
लेकिन, पूरी धरती पर एक बार फिर से हमारे हिन्दू सनातन धर्म का झंडा जरूर लहराए...!!
इसीलिए... अपनी काबिलियत से एक विधर्मी देश में सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाले एक सनातनी हिन्दू ऋषि जी को मेरी तरफ से एक बार से बधाई रहेगी...!!
सतीश बंसल
जय सनातन...!!
जय महाकाल...!!!
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