द्रौपदी का सच
द्रौपदी के पाँच नहीं एक ही पती थे, और वो युद्धिष्ठर थे।
आप महाभारत पढेंगे तो पता चलेगा कि द्रौपदी का हर जगह युद्धिषठर की पत्नी के रूप में ही वर्णन है, पाँचो पांडवो की पत्नी के रूप में कोई वर्णन नहीं है।
1) द्रौपदी और युद्धिष्ठर के पाँच पुत्र हुए। पर द्रौपदी का किसी अन्य पांडव से पुत्रो होने का कोई वर्णन नहीं है।
(यहाँ कई लोगो को लगता है की अभिमन्यु अर्जुन और द्रौपदी के पुत्र थे, पर यह जानकारी गलत है, अभिमन्यु अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र थे।)
2) जब कौरवो और पांडवो के बीच जुआँ खेला गया और युद्धिष्ठर ने द्रौपदी को दांव पर लगाया था, वहाँ भी द्रौपदी का वर्णन युद्धिष्ठर की पत्नी के रूप में ही मिलता है, यदि द्रौपदी सभी पांडवो की पत्नी होती तो युद्धिष्ठर द्रौपदी को दांव पर नहीं लगा सकते थे।
3) जब युद्धिष्ठर इन्द्रप्रस्थ के राजा बने तो द्रौपदी रानी बनी, रानी राजा की पत्नी होती है, अगर द्रौपदी पाँचो पांडव की पत्नी होती तो वे रानी नहीं हो सकती थी।
*कुछ लोग कहते है कि द्रौपदी पाँचो पांडवो की पत्नी थी इसलिए उनका नाम पाँचाली था, पर यह जानकारी गलत है, द्रौपदी का मायका पाँचाल देश था, और वहाँ की राजकुमारी होने के कारण उनका नाम पाँचाली था। द्रौपदी के पिता को भी पाँचाल नरेश कहा जाता था।*
एक और प्रशन उठता है कि द्रौपदी के स्वयंवर के समय तो विजेता अर्जुन हुए, तो द्रौपदी अर्जुन की पत्नी होनी चाहिए। पर आपको स्वयंवर के नियम नहीं पता, स्वयंवर के नियम अनुसार कन्या का विवाह विजेता से, या उसके परिवार में किसी भाई या पुत्र या संबंधी से हो सकता है कन्या की इच्छा अनुसार।आपको याद होगा जब भीष्म पितामह अंबा अंबालिका के स्वयंवर में गए थे तो वहाँ भीष्म ही विजेता हुए थे, पर उनका विवाह भीष्म से नहीं हुआ बल्कि उनके छोटे भाई विचित्रवीर्य से हुआ।
*और छोटे भाई का विवाह बडे़ भाई से पहले नहीं होता था, इसे बहुत बड़ा पाप मना जाता था।*
आज हिन्दु स्वयं अपनेे ग्रंथो को नहीं पढ़ते इससे कोई भी उन्हेें भ्रमित कर देता है, और अज्ञानी होने के कारण हिन्दु उन झूठो को सच मान लेते है। हिन्दु धर्म को बदनाम करने के लिए ऐसे ही कई झूठ चलते रहते है, इन झूठो को इसलिए फैलाया जाता है, *ताकि हिन्दुओ के मन में अपने ही ग्रंथो के प्रति हीन भावना हो*, और अपनी जडो से कट जाएँ, और ऐसा हो भी रहा है। और ऐसा आज से ही नही, 600 साल से हो रहा है, जब मुसलमान(मुगल) सत्ता में आए तो हिन्दु को जड़ मूल से खत्म करने के लिए बहुत से काम हुए मंदिर तोडे़ गए, लाखो करोड़ो ग्रंथ जला दिए गए, नष्ट कर दिए गए, जो धर्म के ज्ञानी थे उन्हे ढूंढ ढूंढ कर मार दिया गया, तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय जला दिया, जो 6 महीने तक जलते रहे, इससे कई ग्रंथ लुप्त हो गए पर महाभारत और रामायण जैसे बढ़े ग्रंथ जो इस भारी विनाश से भी बच गए क्योकि वो हर मंदिर हर घर में होते थे, तो जब मसलमान(मुगल) इन्हें मिटा नहीं पाए तो इन्हें बदनाम किया गया महाभारत और रामायण को बदनाम करने के लिए समाज में झूठ फैला दिए गए, कि द्रौपदी के तो पाँच पति थे, और भी ऐसे सैकड़ो झूठ है जो आज भी समाज में चल रहे है। रामायण पर भी ऐसे ही सैकड़े झूठ आज भी चल रहे है।
हिन्दु ग्रंथो को मिटाने व बदनाम करने का काम अंग्रेजो के समय ही खूब हुआ, एक अंग्रेज था मैक्स मूलर उसकी पूरी एक टीम थी और उसे ये जिम्मेदारी दी गयी थी कि एक एक हिन्दु ग्रंथ को बदनाम करो, और उसने मनुस्म्रती सहित हजारो ग्रंथे को अपने हिसाब से लिखा था। पर हमने भी ठेका लिया है एक एक झूठ को मिटाने का, सच को तर्को सहित आप तक पहुँचाने का।
*आपका हिन्दुत्ववादी भाई*
सतीश बंसल
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