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मार्च, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मृत्यु के चौदह प्रकार

*मृत्यु के चौदह प्रकार------* *राम-रावण युद्ध चल रहा था, तब अंगद ने रावण से कहा- तू तो मरा हुआ है, मरे हुए को मारने से क्या फायदा?* *रावण बोला– मैं जीवित हूँ, मरा हुआ कैसे?* *अंगद बोले, सिर्फ साँस लेने वालों को जीवित नहीं कहते - साँस तो लुहार का धौंकनी भी लेती है!* *तब अंगद ने मृत्यु के 14  प्रकार बताए-* *अंगद द्वारा रावण को बताई गई ये बातें सर्वकालिक हैं! यदि किसी व्यक्ति में इन 14 दुर्गुणों में से एक दुर्गुण भी मौजूद है, तो वह मृतक समान माना जाता है!* *रामचरितमानस के लंका काण्ड का यह प्रसंग अत्यंत सारगर्भित और शिक्षणीय है :----* *कौल कामबस कृपिन विमूढ़ा।* *अतिदरिद्र अजसि अतिबूढ़ा।।* *सदारोगबस संतत क्रोधी।* *विष्णु विमुख श्रुति संत विरोधी।।* *तनुपोषक निंदक अघखानी।* *जीवत शव सम चौदह प्रानी।।* *1. कामवश :---- जो व्यक्ति अत्यंत भोगी हो, कामवासना में लिप्त रहता हो, जो संसार के भोगों में उलझा हुआ हो, वह मृत समान है। जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होतीं और जो प्राणी सिर्फ अपनी इच्छाओं के अधीन होकर ही जीता है, वह मृत समान है। वह अध्यात्म का सेवन नहीं करता है, सदैव वासना में लीन रहता है।*

भागवत में लिखी ये 10 भयंकर बातें कलयुग में हो रही हैं सच

*भागवत📜 में लिखी ये 10 भयंकर बातें कलयुग में हो रही हैं सच,...*👇🏻     1.ततश्चानुदिनं धर्मः  सत्यं शौचं क्षमा दया । कालेन बलिना राजन्  नङ्‌क्ष्यत्यायुर्बलं स्मृतिः ॥    *कलयुग में धर्म, स्वच्छता, सत्यवादिता, स्मृति, शारीरक शक्ति, दया भाव और जीवन की अवधि दिन-ब-दिन घटती जाएगी.*    2.वित्तमेव कलौ नॄणां जन्माचारगुणोदयः । धर्मन्याय व्यवस्थायां  कारणं बलमेव हि ॥    *कलयुग में वही व्यक्ति गुणी माना जायेगा जिसके पास ज्यादा धन है. न्याय और कानून सिर्फ एक शक्ति के आधार पे होगा !*        3.  दाम्पत्येऽभिरुचि  र्हेतुः  मायैव  व्यावहारिके । स्त्रीत्वे  पुंस्त्वे च हि रतिः  विप्रत्वे सूत्रमेव हि ॥    *कलयुग में स्त्री-पुरुष बिना विवाह के केवल रूचि के अनुसार ही रहेंगे.* *व्यापार की सफलता के लिए मनुष्य छल करेगा और ब्राह्मण सिर्फ नाम के होंगे.*    4. लिङ्‌गं एवाश्रमख्यातौ अन्योन्यापत्ति कारणम् । अवृत्त्या न्यायदौर्बल्यं  पाण्डित्ये चापलं वचः ॥      *घूस देने वाले व्यक्ति ही न्याय पा सकेंगे और जो धन नहीं खर्च पायेगा उसे न्याय के लिए दर-दर की ठोकरे खानी होंगी. स्वार्थी और चालाक लोगों को कलयुग में विद्व

क्या है 16 संस्कार, हिंदू धर्म में

क्या है 16 संस्कार, हिंदू धर्म में इनका क्या है महत्व?* *शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ सनातन हिन्दू धर्म एक शाश्वत और प्राचीन धर्म है। इसका मूल पूर्णत: वैज्ञानिक होने के कारण सदियां बीत जाने के बाद भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है।* *प्रारम्भिक काल में हिन्दू समाज में गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के अनुसार शिक्षा दी जाती थी, जो वैज्ञानिक होने के कारण विकासोन्मुख थी। सोलह संस्कारों को हिन्दू धर्म की जड़ कहें तो गलत नहीं होगा। इन्हीं सोलह संस्कारों में इस धर्म की संस्कृति और परम्पराएं निहित हैं जो निम्र हैं-* *(1). गर्भाधान संस्कार, (2). पुंसवन संस्कार. (3). सीमन्तोन्नयन संस्कार, (4). जातकर्म संस्कार, (5). नामकरण संस्कार, (6). निष्क्रमण संस्कार, (7). अन्नप्राशन संस्कार, (8). चूड़ाकर्म संस्कार, (9). विद्यारम्भ संस्कार, (10). कर्णवेध संस्कार, (11). यज्ञोपवीत संस्कार, (12). वेदारम्भ संस्कार, (13). केशान्त संस्कार, (14). समावर्तन संस्कार, (15). विवाह संस्कार, (16). अंत्येष्टि संस्कार।* 01 * गर्भाधान संस्कार : गर्भाधान संस्कार के माध्यम से हिन्दू धर्म सन्देश देता है कि स्त्री-पुरुष संबंध

12 बातें जो हर हिंदू को याद रखनी चाहिए

*12 बातें जो हर सनातन धर्म अनुयायी  को ध्यान रखनी चाहिए।* *कालम-6 पर विशेष ध्यान दे।*       1.  क्या भगवान राम या भगवान कृष्ण कभी इंग्लैंड के *house of lord* के सदस्य रहे थे ? नहीं ना... तो फिर ये क्या ~Lord Rama, Lord Krishna~ लगा रखा है ?  सीधे सीधे *भगवान राम, भगवान कृष्ण* कहिये - अंग्रेजी में भी. 2. किसी की मृत्यु होने पर ~RIP~ बिलकुल मत कहिये।  यानी Rest In Peace जो दफ़नाने वालों के लिए कहा जाता है।  आप कहिये - *"ओम शांति"*, अथवा *"मोक्ष प्राप्ति हो"* !  आत्मा कभी एक स्थान पर _आराम या विश्राम नहीं करती ! आत्मा का पुनर्जन्म होता है अथवा उसे मोक्ष मिलता है !_ 3. अपने रामायण एवं महाभारत जैसे ग्रंथों को कभी भी ~mythological~ मत कहियेगा. *"mythological" शब्द बना है "myth" से और "myth" शब्द बना है हिंदी के "मिथ्या" शब्द से।* *"मिथ्या" अर्थात 'झूठा' या 'जिसका कोई अस्तित्व ना हो'* और हमारे सभी देवी देवता, राम और कृष्ण *वास्तविक रूप में प्रकट हुए हैं* ये हमारा *गौरवशाली वैदिक ग्रंथों में लिखा* है और *राम ए

रुद्राभिषेक विधि

*सर्वदोष नाश के लिये रुद्राभिषेक विधि 〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ रुद्राभिषेक अर्थात रूद्र का अभिषेक करना यानि कि शिवलिंग पर रुद्रमंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। जैसा की वेदों में वर्णित है शिव और रुद्र परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। शिव को ही रुद्र कहा जाता है। क्योंकि- रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: यानि की भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं। हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं। रुद्राभिषेक करना शिव आराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है। रूद्र शिव जी का ही एक स्वरूप हैं। रुद्राभिषेक मंत्रों का वर्णन ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में भी किया गया है। शास्त्र और वेदों में वर्णित हैं की शिव जी का अभिषेक करना परम कल्याणकारी है। रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारे पटक-से पातक कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है। रूद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे

शिवलिंग का वास्तविक अर्थ क्या है

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शिवलिंग को गुप्तांग की संज्ञा कैसे दी और अब हम  हिन्दू खुद शिवलिंग को शिव् भगवान का गुप्तांग समझने लगे हे और दूसरे हिन्दुओ को भी ये गलत जानकारी देने लगे हे। प्रकृति से शिवलिंग का क्या संबंध है ..? जाने शिवलिंग का वास्तविक अर्थ क्या है और कैसे इसका गलत अर्थ निकालकर हिन्दुओं को भ्रमित किया...??  कुछ लोग शिवलिंग की पूजा  की आलोचना करते हैं..। छोटे छोटे बच्चों को बताते हैं कि हिन्दू लोग लिंग और योनी की पूजा करते हैं । मूर्खों को संस्कृत का ज्ञान नहीं होता है..और अपने छोटे'छोटे बच्चों को हिन्दुओं के प्रति नफ़रत पैदा करके उनको आतंकी बना देते हैं।संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है । इसे देववाणी भी कहा जाता है। *लिंग* लिंग का अर्थ संस्कृत में चिन्ह, प्रतीक होता है… जबकी जनर्नेद्रीय को संस्कृत मे शिशिन कहा जाता है। *शिवलिंग* >शिवलिंग का अर्थ हुआ शिव का प्रतीक…. >पुरुषलिंग का अर्थ हुआ पुरुष का प्रतीक इसी प्रकार स्त्रीलिंग का अर्थ हुआ स्त्री का प्रतीक और नपुंसकलिंग का अर्थ हुआ नपुंसक का प्रतीक। अब यदि जो लोग पुरुष लिंग को मनुष्य की जनेन्द्रिय समझ कर आलोचना करते है..तो वे बताये ”स्

ईसाई मिशनरी

अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *क्रमांक=१५* ✝️ *ईसाई मत की मान्यताएँ: तर्क की कसौटी पर* *5 मिनट निकाल कर अंत तक पढ़े* *तथ्य, तर्क और प्रमाण के साथ पढ़े एव समाज को भृमित होने से बचाये।* ●●●●●●●●●●●●●●●●●●● ⚜️  *यह कटु सत्य है कि ईसाई मिशनरी विश्व के जिस किसी देश में गए। उस देश के निवासियों के मूल धर्म में सदा खामियों को प्रचारित करना एवं अपने मत को बड़ा चढ़ाकर पेश करना ईसाईयों की सुनियोजित नीति रही हैं। इस नीति के बल पर वे अपने आपको श्रेष्ठ एवं सभ्य तथा दूसरों को निकृष्ट एवं असभ्य सिद्ध करते रहे हैं। इस लेख के माध्यम से हम ईसाई मत की तीन सबसे प्रसिद्द मान्यताओं की समीक्षा करेंगे जिससे पाठकों के भ्रम का निवारण हो जाये।* ✝️ *1. प्रार्थना से चंगाई* *2. पापों का क्षमा होना* *3. गैर ईसाईयों को ईसाई मत में धर्मान्तरित करना* *1. प्रार्थना से चंगाई* ⚜️  *ईसाई समाज में ईसा मसीह अथवा चर्च द्वारा घोषित किसी भी संत की प्रार्थना करने से बिमारियों का ठीक होने की मान्यता पर अत्यधिक बल दिया जाता हैं। आप किसी भी ईसाई पत्रिका, किसी भी गिरिजाघर की दीवारों आदि में जाकर ऐसे विवरण (Testimonials) देख सकते है