मृत्यु के चौदह प्रकार
*मृत्यु के चौदह प्रकार------* *राम-रावण युद्ध चल रहा था, तब अंगद ने रावण से कहा- तू तो मरा हुआ है, मरे हुए को मारने से क्या फायदा?* *रावण बोला– मैं जीवित हूँ, मरा हुआ कैसे?* *अंगद बोले, सिर्फ साँस लेने वालों को जीवित नहीं कहते - साँस तो लुहार का धौंकनी भी लेती है!* *तब अंगद ने मृत्यु के 14 प्रकार बताए-* *अंगद द्वारा रावण को बताई गई ये बातें सर्वकालिक हैं! यदि किसी व्यक्ति में इन 14 दुर्गुणों में से एक दुर्गुण भी मौजूद है, तो वह मृतक समान माना जाता है!* *रामचरितमानस के लंका काण्ड का यह प्रसंग अत्यंत सारगर्भित और शिक्षणीय है :----* *कौल कामबस कृपिन विमूढ़ा।* *अतिदरिद्र अजसि अतिबूढ़ा।।* *सदारोगबस संतत क्रोधी।* *विष्णु विमुख श्रुति संत विरोधी।।* *तनुपोषक निंदक अघखानी।* *जीवत शव सम चौदह प्रानी।।* *1. कामवश :---- जो व्यक्ति अत्यंत भोगी हो, कामवासना में लिप्त रहता हो, जो संसार के भोगों में उलझा हुआ हो, वह मृत समान है। जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होतीं और जो प्राणी सिर्फ अपनी इच्छाओं के अधीन होकर ही जीता है, वह मृत समान है। वह अध्यात्म का सेवन नहीं करता है, सदैव वासना में लीन रहता है।*