हनुमान जी की शक्ति
आज आपको हनुमान जी एक लोक कथा के बारे में बताने जा रहा हूँ, *जिसका विवरण संसार के किसी भी पुस्तक में आपको शायद ही मिलेगा.. जय श्री राम, *कथा का आरंभ तब का है ,,* जब बाली को ब्रम्हा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ,, की जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा,, उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर मे चली जायेगी,, और इससे बाली हर युद्ध मे अजेय रहेगा,, सुग्रीव, बाली दोनों ब्रम्हा के औरस ( वरदान द्वारा प्राप्त ) पुत्र हैं,, और ब्रम्हा जी की कृपा बाली पर सदैव बनी रहती है,, बाली को अपने बल पर बड़ा घमंड था,, उसका घमंड तब ओर भी बढ़ गया,, जब उसने करीब करीब तीनों लोकों पर विजय पाए हुए रावण से युद्ध किया और रावण को अपनी पूँछ से बांध कर छह महीने तक पूरी दुनिया घूमी,, रावण जैसे योद्धा को इस प्रकार हरा कर बाली के घमंड का कोई सीमा न रहा,, अब वो अपने आपको संसार का सबसे बड़ा योद्धा समझने लगा था,, और यही उसकी सबसे बड़ी भूल हुई,, अपने ताकत के मद में चूर एक दिन एक जंगल मे पेड़ पौधों को तिनके के समान उखाड़ फेंक रहा था,, हरे भरे वृक्षों को तहस नहस कर दे रहा था,, अमृत समान जल के सरोवरों को मिट्टी से मिला कर कीचड़ कर दे रहा था,, एक