अपने तुच्छ मानसिकता से ऊपर उठे.....विद्वानों का सम्मान करे ....

 #अरे_तुम_तो_लुटेरे_हो.....

एक फोन आया पंडित जी एक शादी करानी है....पंडितजी ने कहा....ठीक है पहुँच जाऊंगा....7-00 बजे शाम को ही आ जाइएगा ऐसा उन्होंने बोला....
और पंडित जी,समय पर पहुँच गये पर कोई भी तैयार नहीं था...इंतजार करते करते10.00 बजे रात को बारात घर से निकली....
11-00 बजे मंडप में पहुंचे तो पता चला कि जो पंडितजी ने जो सामान मंगाया था वो एक भी सामान नहीं आया था....भूल गये...अभी मंगाते है...इंतजार करते करते रात को 2-00 बजे फेरों के लिए आये ....
आते ही बोले पंडित जी फेरे अच्छे से करवाना....वैदिक विधि विधान से विवाह संपन्न हुआ....सुबह के 5.00 बज गए....
पंडित जी ने कहा कि अब मै चलता हूँ...दक्षिणा दीजिये....सब का मुह देखने लायक था कि जैसे पंडित जी ने उनकी जमींन लिखने को बोल दिया हो....
आप विश्वास नहीं करेंगे ... लड़के के पिता ने जेब से 100 का नोट निकाल कर पंडित जी को दक्षिणा में दिया....और इतना ही लड़की के पिता ने भी दिया....यानि 10 घंटों की मेहनत को उन्होंने 200 रूपये में तोल दिया.....
और,ये वही पिता है जिन्होंने मेरे आखों के सामने घर से निकलते समय 5000 रूपये घोड़े वाले को दिये....
बारात जब दरवाजे पर पहुंची तो नाचने वालो को10000 हजार रूपये लुटा कर फेका....
बरातियों पर फूल फेकने वाली लड़कियों को1000 रूपये कर के10 को दिया.....यानि दस हजार ....
और जो Ph.D. किया हुआ... आचार्य विद्वान्.....जिसने 10 घंटे धैर्य के साथ संस्कार को संपन्न किया उसको100 रूपये देने में हाथ नहीं कांपे..........
पंडित जी ने उनके ही सामने झाड़ू लगा रहे एक लड़के को अपने जेब से मिला कर 500 रूपये देकर यही बोला कि ....
आपने ने तो मेरी100 रूपये ही कीमत लगाई ...
गलती हो गयी कि ....
मेने आप से पहले ही दक्षिणा तय नहीं कर पाया.....और नमस्ते बोल कर चलता रहा....
यह कोई कहानी नहीं है....
यह सत्य घटना है......एक विवाह समारोह....की घटना है....शादियों में ₹100000/- की शराब पिलाने वालों को ₹5001दक्षिणा वाला ब्राह्मण लुटेरा दिखता है!
शादियों में लहँगा उठा कर , बदतमीज़ी करके 50000 से 1 लाख रुपये लेने वाले की अपेक्षा पूरी रात जग कर शुभ गान स्वस्तिवाचन कर,दो अलग स्त्री पुरुष को एक करने वाला.... दक्षिणा में 5001 रुपये लेने वाला ब्राह्मण... लुटेरा लगता है ।
ये सोच नहीं है,यह आपके अंदर की कलुषता,द्वेष और एक वर्ण विशेष से घोर नफरत जो कि वामपंथियों और अन्य सनातन विद्रोहियों द्वारा इन 200 वर्षों में कूट कूट कर भरी गयी ,यह उसका परिचायक है।
ये सोच आपको वैदिक धर्म से दूर ले जाती है....
संस्कारों का महत्व समझे ....
विद्वान् का सम्मान करें ....
ताकि वैदिक धर्म कि रक्षा हो सके ....
हमें विद्वानों को उनके योग्यता के अनुसार उनको दक्षिणा व सम्मान देना ही चाहिए ....
क्यों कि एक विद्वान् जो विवाह करा रहा है... उसने 15 से 20 वर्ष तक गुरु के पास रह कर वेदों का अध्ययन कर के आया है ....उसने तपस्या की है ....
एक एक विधि को समझा कर संस्कार करा रहा है .... तो उसका ध्यान रखना ही चाहिए क्यों की इसी से उसके परिवार का पालन पोषण होता है .....
अपने तुच्छ मानसिकता से ऊपर उठे.....विद्वानों का सम्मान करे ....

1 टिप्पणियाँ

  1. सभी हिंदुओं को अपने सनातन धर्म की रक्षा करनी चाहिए और ब्राह्मण जो अनजान लोगों को शादी के पवित्र बंधन में जोड़ते हैं उनकी महत्वता को समझना चाहिए

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